Greater Noida स्थित Sharda University में एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने पूरे कैंपस को हिला कर रख दिया है। यह हादसा न सिर्फ एक जीवन की समाप्ति है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था, प्रशासन और समाज पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
छात्रा ने जान देने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने यूनिवर्सिटी की दो फैकल्टी सदस्यों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे शैक्षणिक वातावरण की खामियों का प्रतीक बन गई है।

घटना के बाद विश्वविद्यालय में छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया, लेकिन उन्हें पुलिस बल ने घेर लिया।
यूनिवर्सिटी की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन छात्रों का कहना है कि प्रशासन सच्चाई को छुपाने में लगा है। दो फैकल्टी सदस्यों की गिरफ्तारी ज़रूर हुई है, मगर क्या यही पर्याप्त है? क्या इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होगी, या यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?
छात्रों का नारा “हम भी इंसान हैं, सिर्फ़ रोल नंबर नहीं” अब सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुका है। यह घटना न केवल एक छात्रा की मौत है, बल्कि उन तमाम छात्रों की आवाज़ है जो चुपचाप शोषण सहते हैं।
यह वक्त है जवाब देने का, जवाबदेही तय करने का। क्योंकि अगर अब नहीं जागे, तो कल और कई सपने ऐसे ही दम तोड़ देंगे।
हालांकि, क्षेत्रीय पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और दो शिक्षकों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।
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